
Bihar Board Class 10 Hindi Gadya Chapter 6 Solutions
हम बिहार बोर्ड मैट्रिक छात्रों के लिए पूरे अध्याय के हल प्रदान करते हैं। इस अध्याय में "यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें समान रूप से सभी व्यक्तियों का सम्मान करना चाहिए, उनकी तकलीफों को समझना चाहिए और समान समाज के निर्माण के लिए मदद करनी चाहिए।" के बारे में चर्चा की गई है। हम इस अध्याय के सभी प्रश्नों के समाधान प्रदान करते हैं, जो कि बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा में आते हैं।
बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी गद्य अध्याय 6 के हल प्रश्न और उत्तर प्रदान करने के साथ-साथ, यहां इस अध्याय का सारांश और महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा भी की गई है। इस अध्याय में बहादुर के चरित्र तथा समाज के स्तर पर तथ्यों को दर्शाने का प्रयास किया गया है।
Bihar Board Class 10 Hindi Chapter 6 - बहादुर Solutions
विषय |
हिन्दी (गोधूलि भाग 2), गद्य |
अध्याय |
6. बहादुर |
लेखक |
अमरकान्त |
पाठ परिचय
प्रस्तुत कहानी ’बहादुर’ में शहर के एक निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार में काम करने वाले एक नेपाली गँवई गोरखे बहादुर की कहानी वर्णित है। बहादुर एक नौकरी पेशा परिवार में आत्मीयता के साथ सेवाएँ देने के बाद परिवार के सदस्यों के दुर्व्यवहार के कारण अपने स्वच्छंद निश्छल स्वभाववश स्वच्छंदता के साथ नौकरी छोड़ देता है। उसकी आत्मीयता तथा त्याग परिवार के हर सदस्य में एक कसकती अन्तर्व्यथा पैदा कर देती है, क्योंकि घर के मुखिया के झूठी सान तथा क्रूर व्यवहार का पोल खुल जाता है।
लेखक परिचय
नाम | अमरकान्त |
जन्म | 1 जुलाई 1925 ई०, बलिया जिले के नगरा गाँव में |
मृत्यु | 17 फरवरी 2014 ई० (उम्र 89 वर्ष), इलाहाबाद |
शिक्षा | हाई स्कुल बलिया में |
पद | साहित्यकार |
रचनाएँ | जिन्दगी और जोंक, देश के लोग, मौत का नगर, मित्र-मिलन, कुहासा, सूखा पत्ता, आकाशपक्षी, कोले उजले दिन, सुखजीवी, बीच की दीवार, ग्राम सेविका। वानरसेना (बाल उपन्यास) |
पाठ का सारांश
इस कहानी में एक गरीब नौकर बहादुर के बारे में बताया गया है जो एक अमीर परिवार में काम करता है। बहादुर के साथ नौकरी करने से पहले, उसका जीवन सुखद नहीं था, लेकिन जब वह नौकर बना तो उसकी स्थिति बदल गई। लेकिन, जैसे जैसे समय बीतता गया, लेखक का बहादुर के प्रति दृष्टिकोण बदलता गया। उसे लगने लगा कि नौकरी करने वाले लोग तुच्छ होते हैं।
बहादुर के आने से लोग आलसी हो गए थे, उन्हें नौकर को हमेशा नाचना पड़ता था और वह उसे अनुशासित रखने के लिए कठोर तरीके से बर्ताव करता था। उसकी गलतियों के लिए वह निर्मला तथा किशोर को मारता था। बहादुर द्वारा किये गए यह सभी अनुचित व्यवहार लेखक को अवमानित महसूस करवाते थे।
कुछ दिन बाद, एक रिश्तेदार के घर भूचाल उत्पन्न होता है और बहादुर को दोष मिल जाता है। इस घटना के बाद बहादुर को नौकरी छोड़ना पड़ता है। लेखक जब दफ्तर से लौटा तो घर में उदासी छाई हुई थी। निर्मला चुपचाप आँगन में सिर पर हाथ रख कर बैठी थी। आँगन गंदा पड़ा था। बर्तन बिना मले रखे हुए थे। सारा घर अस्त-व्यस्त था। बहादुर के जाते ही सबके होश उड़ गये थे। निर्मला अपने बदकिस्मती का रोना रो रही थी।
लेखक बहादुर का त्याग देखकर भौंचक्का रह जाता है, क्योंकि उसने अपना तनख्वाह, वस्त्र, विस्तर तथा जुते सब कुछ वहीं छोड़ गया था, जिससे बहादुर के अंदर के दर्द का पता चलता है। वह गरीब होते हुए भी आत्म अभिमानी था। मार तथा गाली-गलौज के कारण ही वह माँ से दुखी था तथा उसने घर का त्याग किया था। उसकी चौथी दीवार पर एक वास्तविक समस्या थी। नौकर ने उसे छुपा कर रखा था जिसका समाधान कोई नहीं देखता था। उस घर का सबसे नाजुक हिस्सा था बहादुर। लेखक के लिए वह अपने घर की याद दिलाता था।
बहादुर का त्याग देखकर लेखक को बहुत दुख हुआ। उन्होंने निर्मला को समझाने की कोशिश की लेकिन वह बहुत दुखी थी। लेखक ने बहादुर को ढूंढने की कोशिश की लेकिन उसे ढूंढने में वह विफल रहे। लेखक अपने आप को जिम्मेदार समझते थे क्योंकि उन्होंने भी बहादुर को दबाने में अपना हिस्सा लिया था।
उनकी इस घटना से जीवन में कुछ बदलाव आये। उन्होंने समाज में आदरणीय लोगों की देखभाल में रहने का निर्णय लिया। उन्होंने निर्मला और किशोर को अपने घर में रख लिया और उन्हें एक नई जिंदगी का मौका दिया। वह उन्हें शिक्षा दिलाने लगे और उनकी देखभाल करने लगे।
इस कहानी से हमें यह समझ मिलता है कि नौकरी की हस्ती को तुच्छ नहीं समझा जाना चाहिए। हमें समाज में सभी लोगों को बराबरी के साथ देखना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। हमें लोगों को उनकी तकलीफ समझना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए जिससे समाज में बराबरी का माहौल बना रहे। हमें लोगों की दिक्कतों को समझना चाहिए और उन्हें समाज से जुड़े सभी अधिकारों का लाभ उठाने में मदद करनी चाहिए। नौकर-चाकर संबंधों में जिस तरह से नौकर के साथ अनुचित व्यवहार करना एक समय में सामाजिक बुराई माना जाता था, वैसे ही आज भी ऐसे संबंधों में अनुचित व्यवहार एक मानवाधिकार उल्लंघन है। हमें समाज को इस तरह से संगठित करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अपनी रोजगारी से संतुष्ट हो सके और समाज में समानता का माहौल बना रहे।
Bihar Board Class 10 Hindi Gadya Chapter 6 - बहादुर Solutions
बोध और अभ्यास
Q1. लेखक को क्यों लगता है कि जैसे उस पर एक भारी दायित्व आ गया हो?
उत्तर - लेखक महोदय की पत्नी दिन-रात ‘नौकर-चाकर’ की माला जपती थी। उनका साला नौकर को लाकर सामने खड़ा कर दिया था। अब लेखक महोदय के ऊपर एक भारी दायित्व आ गया था कि नौकर के साथ घर में अच्छा बवि हो। नौकर घर के अनुकुल ढल जाया और यहाँ टिक जाय।
Q2. अपने शब्दों में पहली बार दिखे बहादुर का वर्णन कीजिए।
उत्तर - नौकर यानी बहादुर का शरीर चौड़ा और कद छोटा था। गोरा रंग और मुँह चपटा था। वह उजला हाफ पैंट और सफेद कमीज, भूरे रंग का जूता और गले में रूमाल बंधा था।
Q3. लेखक को क्यों लगता है कि नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया था?
उत्तर - लेखक महोदय के सभी भाई और रिश्तेदार ऊंचे पद पर थे। इसलिए उनलोगों के पास नौकर-चाकर था। जब उनकी बहन के विवाह में सभी रिश्तेदारों का मिलन हुआ तो लेखक महोदय की पत्नी नौकर को देखकर ईर्ष्यालु हो गई। इसके बाद से घर में नौकर रखने के लिए परेशान करने लगी। अब लेखक महोदय को नौकर रखना बहुत जरूरी हो गया।
Q4. साले साहब से लेखक का कौन-सा किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा?
उत्तर - लेखक को साले साहब से एक दुखी लड़का का किस्सा असाधारण विस्तार से सुनना पड़ा। किस्सा था कि वह एक नेपाली था, जिसका गाँव नेपाल और बिहार की सीमा पर था। उसका बाघ युद्ध में मारा गया था और उसकी माँ सारे परिवार का भरण-पोषण करती थी। माँ उसकी बड़ी गुस्सैल थी और उसको बहुत मारती थी। माँ चाहती थी कि लड़का घर के काम-धाम में हाथ बँटाये, जबकि वह पहाड़ या जंगलों में निकल जाता और पेड़ों पर चढ़कर, चिड़ियों के घोंसलों में हाथ डालकर उनके बच्चे पकड़ता या फल तोड़-तोड़कर खाता। एक बार उसने भैंस की पिटाई की जिसके चलते माँ ने भी उसे खूब पीटा। अत्यधिक पिटाई के चलते लड़के का मन माँ से फट गया। रातभर जंगल में छिपा रहा, सुबह होने पर घर से राह खर्च के लिए चोरी से ‘कुछ रुपया लेकर भाग गया।
Q5. बहादुर अपने घर से क्यों भाग गया था?
उत्तर - बहादुर कभी-कभी पशुओं को चराने के लिए ले जाता था। एक बार उसने अपनी माँ की प्यारी भैंस को बहुत मारा। मार खाने के उपरान्त भैंस उसकी मां के पास पहुंच जाती है। माँ को आभास होता है कि लड़के ने इसको काफी मारा है। माँ ने भैंस की मार का काल्पनिक अनुमान करके एक डंडे से उसकी दुगुनी पिटाई की। लड़के का मन माँ से फट गया और वह पूरी रात जंगल में छिपा रहा। अंततः सुबह में घर पहुंचकर चुपके से कुछ रुपया लिया और घर से भाग गया।
Q6. बहादुर के नाम से “दिल” शब्द क्यों उड़ा दिया गया ? विचार करें।
उत्तर - प्रथम बार नाम पूछने में बहादुर ने अपना नाम दिलबहादुर बताया। यहां दिल शब्द का अभिप्राय भावात्मक परिवेश में है। उपदेश देने के दरम्यान उसे कहा जा रहा था कि किसी के साथ भावुकता से पेश नहीं होकर दिमाग से अधिक कार्य करना है। सामाजिक तो उदारता से .. दूर रहकर मन और मस्तिष्क से केवल अपने घर के कार्यों में लीन रहने का उपदेश दिया गया। इस प्रकार से निर्मला द्वारा उसके नाम से दिल शब्द उड़ा दिया गया।
Q7. व्याख्या करें –
(क) उसकी हँसी बड़ी कोमल और मीठी थी, जैसे फूल की पंखुड़िया बिखर गई हों
व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के वहादुर’ शीर्षक कहानी से ली गई हैं। इन पक्तियों का संदर्भ बहादुर से जुड़ा हुआ है।
जब लेखक शाम को दफ्तर से घर आते थे तो बहादुर सहज भाव से उनके पास आता था और उन्हें एक बार देखकर सिर झुका लेता था तथा धीरे-धीरे मुस्कुराने लगता था। घर की मामूली-सी. घटनाओं को लेखक से सुनाया करता था। कभी कहता-बाबूजी, बहिनजी की सहेली आयीं थीं तो कभी कहता बाबूजी, भैया सिनेमा गया था। इसके बाद वह ऐसी हँसी हँसता था कि लगता था जैसे उसने कोई बहुत बड़ा किस्सा कह दिया हो। उसके निश्छल, निष्कलुष हाव-भाव से प्रभावित होकर ही लेखक ने लिखा है-उसकी हंसी बड़ी कोमल थी और मीठी थी लगता था फूल की पंखड़ियों बिखरी हुई हों।
इस प्रकार उक्त पंक्तियों में लेखक ने बहादुर की निश्छलता, निर्मलता, ईमानदारी और आत्मीय व्यवहार का यथोचित रेखांकन किया है। बहादुर बच्चा था। उसके होठों पर कोमलता और मिठास थी, फूलों के खिलने जैसा उसकी खिलखिलाहट थी। इस प्रकार उक्त पंक्तियों में लेखक ने बहादुर के कोमल भावों व्यवहारों, ईमानदारी, आत्मीय । संबंधों का सटीक वर्णन किया है।
(ख) पर अब बहादुर से भूल-गलतियों अधिक होने लगी थीं।
व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘बहादुर’ कहानी. पाठ से ली गयी हैं। इसका संदर्भ बहादुर से जुड़ा हुआ है।
बहादुर को लेखक का पुत्र किशोर बराबर पीट करता था। कुछ दिन बीतने पर लेखक की पत्नी भी बहादुर को मारने-डाँटने लगी थी। लेखक को ऐसा विश्वास था कि हो सकता है घर में मार खाने, गाली-सुनने के कारण बहादुर दुखी होकर रहने लगा था और इसी कारण उससे कई भूलें हो जाती होंगी। ऐसी स्थितियों को लेखक कभी-कभी रोकना चाहते थे। लेकिन बाद में चुप हो जाया करते थे क्योंकि उनके विचार में नौकर-चाकर तो मार-पीट खाते ही रहते हैं, ऐसा ही भाव था।
इस कारण वे भी बहादुर की मदद नहीं कर पाते थे और बहादुर दीन-हीन रूप में, असहाय – बनकर लेखक की पत्नी और पुत्र से डाँट-मारपीट खाता तो और सहता था।
इन पंक्तियों का मूल आशय यह है कि लेखक की मानसिकता भी दो तरह की थी। वे भी सबल. की आलोचना नहीं कर पाते हैं। गरीबों के प्रति नौकर के प्रति उनका भी भाव दोयम दर्जे का था। इसी कारण बहादुर की मानसिक स्थिति संतुलित नहीं रह पाती थी।
(ग) अगर वह कुछ चुराकर ले गया होता तो संतोष होता।
व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘बहादुर’ कहानी पाठ से ली गयी हैं। इन . पंक्तियों का संबंध उस काल से है जब बहादुर चोरी के इल्जाम और मारपीट, गाली-गलौज से तंग आ चुका था। अचानक सिल उठाते वक्त वह गिर गया और दो टुकड़ा हो। अब क्या था बहादुर घर छोड़कर भाग गया। उसे खोजने के लिए लेखक के लड़के किशोर ने शहर का कोना-कोना छान डाला लेकिन बहादुर का कहीं अता-पता नहीं था।
वह बहादुर के लिए बहुत दुःखी था। वह उसके सुख-दुख को याद कर माँ से कह रहा था-माँ, अगर वह मिल जाता तो मैं उससे माफी मांग लेता किन्तु अब उसे नहीं मारता-पीटता, गालियाँ नहीं देता। उसने हमलोगों को बहुत सुख दिया। बहुत सेवा की। गलती हम लोगों से ही हुई। माँ अगर वह कुछ चुराकर भी ले गया होता तो हमलोगों को संतोष होता। लेकिन वह तो हमलोगों का क्या अपना भी सब ‘सामान छोड़ गया।
इन पंक्तियों से यही आशय निकलता है कि आदमी को सद्व्यवहार करना चाहिए। दुर्व्यवहार के कारण कष्ट भोगना पड़ता है।
(घ) यदि मैं न मारता, तो शायद वह न जाता।
व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘बहादुर’ कहानी पाठ से ली गयी हैं। यह पंक्ति बहादुर से संबंधित है।
लेखक बहादुर के भाग जाने पर अफसोस करता है और कहता है कि अगर मैं, उसे नहीं मारता तो वह भागता नहीं, ऐसा मेरा विश्वास है। लेखक को अपने आप पर, अपने द्वारा किए गए अमानवीय व्यवहार पर खेद होता है।
जब निर्मला बहादुर के लिए रोने लगती है तब ये वाक्य लेखक उसी समय चारपाई पर बैठकर सिर झुकाकर कह रहे हैं। लेखक इस घटना पर रोना चाहता है किन्तु भीतर ही भीतर छटपटा कर रह जाता है। एक छोटी-सी भूल जीवन में कितना दुख दे जाती है-अब लेखक को समझ में बात आती है। वह पहले से सचेत रहता तो ऐसी घटना कभी नहीं घंटती।
इन पंक्तियों का आशय यह है कि आदमी के साथ सद्व्यवहार होना चाहिए। संदेह के बीज बड़े भयानक होते हैं। उनका प्रतिफल भी कष्टदायक होता है। आज बहादुर के साथ दुर्व्यवहार मारपीट चाहे गाली-गलौज नहीं किया जाता संदेह के आधार पर चोर नहीं ठहराया जाता तो वह नहीं भागता। अतः, संदेह और दुर्व्यवहार से इन्सान को बचना चाहिए।
Q8. काम-धाम के बाद रात को अपने बिस्तर पर गये बहादुर का लेखक किन शब्दों में चित्रण करता है?चित्र का आशय स्पष्ट करें
उत्तर - निर्मला ने बहादुर को एक फटी-पुरानी दरी दे दी थी। घर से वह एक चादर भी ले आया था। रात को काम-धाम करने के बाद वह भीतर के बरामदे में एक टूटी हुई बसखट पर अपना बिस्तर बिछाता था। वह बिस्तरे पर बैठ जाता और अपनी जेब में से कपड़े की एक गोल-सी नेपाली टोपी निकालकर पहन लेता, जो बाईं ओर काफी झुकी रहती थी। फिर वह छोटा-सा आइना निकालकर बन्दर की तरह उसमें अपना मुँह देखता था। वह बहुत ही प्रसन्न नजर आता था।
इसके बाद कुछ और भी चीजें जेब से निकालकर बिस्तर पर खेलता था। गीत गाता था। पुरानी स्मृतियों में खो जाता था। इससे उसके बाल मन की स्वाभाविकता की झलक मिलती है। उसके अंत:करण में निहित विरह का भाव गीत में मुखरित होता था। इसके माध्यम से लेखक ने बालसुलभ मनोदशा, स्वच्छंदता के आनंद की स्मृति का चित्रण किया है।
Q9. बहादुर के आने से लेखक के घर और परिवार के सदस्यों पर कैसा प्रभाव पड़ा?
उत्तर - बहादुर के आने से घर के सदस्यों को आराम मिल रहा था। घर खूब साफ और चिकना रहता। सभी कपड़े चमाचम सफेद दिखाई देते। निर्मला की तबीयत काफी सुधर गई। अब परिवार का कोई सदस्य एक भी काम स्वयं नहीं करता है। सभी बहादुर को आवाज देकर काम बताता था और उस कार्य को वह पूरा करता था। सभी रात में पहले ही सो जाते और सबेरे आठ, बजे से पहले न उठते थे।
Q10. किन कारणों से बहादुर ने एक दिन लेखक का घर छोड़ दिया ?
उत्तर - लेखक के घर में प्रारंभ में बहादुर को अच्छा से रखा गया। धीरे-धीरे लेखक का लड़का उस पर दबाव डालकर काम करवाने लगा। कुछ समय पश्चात् पत्नी एवं पुत्र दोनों उसकी पिटाई बात-बात पर कर देते थे। एक रिश्तेदार लेखक के घर पर एक दिन आया और रुपये खो जाने की बात कहते हुए बहादुर पर चोरी का आरोप मढ़ दिया। उस दिन लेखक ने बहादुर की पिटाई कर दी। बार-बार प्रताड़ित होने से एवं मार खाने के कारण एक दिन अचानक बहादुर भाग गया।
Q11. बहादुर पर चोरी का आरोप क्यों लगाया जाता है और उस पर इस आरोप का क्या असर पड़ता है ?
उत्तर - प्रायः ऐसा देखा जाता है कि लोग घर के नौकर को हेय दृष्टि से देखते हैं। किसी मामले में उसे दोषी मान लेना आसान लगता है। रिश्तेदार ने सोचा कि नौकर पर आरोप लगाने से लोगों को लगेगा कि ऐसा हो सकता है। बहादुर इस आरोप से बहुत दुःखी होता है। उसके … अंतरात्मा पर गहरी चोट लगती है। उस दिन से वह उदास रहने लगता है। उस घटना के बाद से उसे अधिक फटकार का सामना करना पड़ता है। उसे काम में मन नहीं लगता है।
Q12. घर आये रिश्तेदारों ने कैसा प्रपंच रचा और उसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर - लेखक के घर आए रिश्तेदारों ने अपनी झूठी प्रतिष्ठा कायम करने के लिए रुपया-चोरी का प्रपंच रचा। उनका कहना था कि मैं बच्चों के लिए मिठाई नहीं ला सका इसलिए मिठाई मंगाने के लिए कुछ रुपया निकालकर यहाँ रखा था। लेकिन बाद में हमलोग उलझे हुए रहे इसी दरम्यान रुपये की चोरी हो गई। उन्होंने बहादुर पर इस चोरी का दोषारोपण किया। इस आरोप से बहादुर को पिटाई लगी।
उस दिन से लोग उसे हर हमेशा फटकार लगाने लगे। वह उदास और अन्यमनस्क रूपं से रहकर काम करता था। अंतत: घर से अचानक चला गया। रिश्तेदार के प्रपंच के चलते लेखक के घर का काम करने वाले बहादुर के जाने की घटना घटी और घर अस्त-व्यस्त हो गया।
Q13. बहादुर के चले जाने पर सबको पछतावा क्यों होता है?
उत्तर - बहादुर घर के सभी कार्य को कुशलतापूर्वक करता था। घर के सभी सदस्य को आराम मिलता था। किसी भी कार्य हेतु हर सदस्य बहादुर को पुकारते रहते थे। वह घर के कार्य से सभी को मुक्त रखता था। साथ रहते-रहते सबसे हिलमिल गया था। डॉट-फटकार के बावजूद काम . करते रहता था। यही सब कारणों से उसके चले जाने पर सबको पछतावा होता है।
Q14. बहादुर, किशोर, निर्मला और कथावाचक का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर - बहादुर लेखक महोदय का नौकर था। वह एक नेपाली था। उसके पिता का देहावसान युद्ध में हो गया था। माता जी घर चलाती थीं। एक दिन माँ ने बहादुर को बहुत मारा। बहादुर घर छोड़कर भाग गया। और लेखक महोदय के यहाँ नौकरी करने लगा।
किशोर – किशोर लेखक महोदय का लड़का था। जो अपना सारा काम बहादुर से ही करवाता था। धीरे-धीरे बहादुर पर हाथ भी छोड़ने लगा। बहादुर को घर छोड़कर भागने में किशोर का वर्ताव अधिक कारगर हुआ।
निर्मला – निर्मला लेखक महोदय की पत्नी थी। जिसे नौकर रखने का बहुत शौक था। पहले-पहल बहादुर के आने पर काफी लाड़-प्यार दिया। लेकिन धीरे-धीरे व्यवहार बदलने लगा। यहाँ तक की उसे मारने भी लगी। परिणाम हुआ बहादुर भाग गया। बहादुर के भाग जाने पर काफी विलाप की।
कथावाचक – कथावाचक लेखक महोदय का साला है। जो बहादुर के बारे में पूरी कहानी असाधारण विस्तार सुनाता है। बहादुर को लेकर कथावाचक ही आता है। वह अपनी बहन की नौकर रखने की इच्छा को पूरा करता है।
Q15. निर्मला को बहादुर के चले जाने पर किस बात का अफसोस हुआ।
उत्तर - निर्मला एक भावुक महिला थी। बहादुर के रहने से उसे बहुत आराम मिला था। लेकिन लेखक का रिश्तेदार जब उनके घर में आया तब उसने रुपया चोरी का प्रपंच रचा जिसका शिकार बहादुर को बनाया। निर्मला को बहादुर पर गुस्सा आया और उसे पीट दिया। उसके बाद से कई बार उसे फटकारते रहती थी। अंत में जब रिश्तेदार की सच्चाई का आभास हुआ और यह बात समझ में आ गई कि बहादुर निर्दोष था और उसने रुपये की चोरी नहीं की थी तब उसे पश्चाताप हुआ। वह यह सोचकर अफसोस कर रही थी कि वह बिना बताये क्यों चला गया। वह अपने साथ कुछ लेकर भी नहीं गया था।
उसकी कर्मठता, ईमानदारी को याद करके निर्मला ने अपने द्वारा किये गये व्यवहार के लिए अफसोस किया।
Q16. कहानी छोटा मुंह बड़ी बात कहती है। इस दृष्टि से ‘बहादुर’ कहानी पर विचार करें
उत्तर - बहादुर कहानी में सबसे बड़ी बात होती है कि एक दिन बहादुर बिना कुछ कहे और बिना सामान लिये भाग गया। यह घटना तो छोटी थी लेकिन बहुत बड़ी-बड़ी बात कह गई। सभी को अपने व्यवहार पर पछतावा होने लगा। हर आदमी अपने-आप को नीचा अनुभव करने लगा। किशोर बहादुर के मिलने पर उससे माफी मांगने को भी तैयार था।
Q17. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए। लेखक ने इसका शीर्षक ‘नौकर’ क्यों नहीं रखा?
उत्तर - प्रस्तुत कहानी में एक बालक का चित्रण किया गया है। बालक जो लेखक के घर में नौकर का काम करता है कहानी का मुख्य पात्र है। इसमें बहादुर नौकरी करने के पूर्व स्वच्छंद में था। वह माँ से मार खाने के बाद घर से भाग गया था। उसके बाद लेखक के घर काम करने के लिए रखा जाता है। यहाँ उसके नौकर के रूप में चित्रण के साथ-साथ उसके बाल-सुलभ मनोभाव का चित्रण भी किया गया है। ईमानदार, कर्मठ एवं सहनशील बालक के रूप में चित्रित है। प्रताड़ना, झूठा आरोप उसे पसंद नहीं था।
अंतत: फिर वह भागकर स्वछंदु हो जाता है। साथ ही लेखक के पूरे परिवार पर अपने अच्छे छवि का चित्र अंकित कर जाता है ऐसे में बहादुर ही इसका नायक कहा जा सकता है। इस कहानी के केन्द्र में बहादुर है। अत: यह शीर्षक सार्थक है। इसमें बालक को केवल नौकर की भूमिका में नहीं रखा गया है बल्कि उसमें विद्यमान अन्य गुणों की चर्चा की गई है। इसलिए नौकर शीर्षक नहीं रखा गया।
Bihar Board Class 10 Hindi Gadya Chapter 6 - बहादुर Objective Questions and Answers
1. ' बाहदुर ' पाठ की विधा है
( A ) कहानी ( B ) निबंध ( C ) कविता ( D ) आलोचना
2. अमरकांत द्वारा लिखित पाठ है
( A ) नागरी लिपि ( B ) बहादुर ( C ) शिक्षा और संस्कृति ( D ) विष के दाँत
3. अमरकांत का जन्म ....... ई 0 में हुआ
( A ) 1915 ( B ) 1918 ( C ) 1925 ( D ) 1930
4. 1942 ई ० के आंदोलन में भाग लिया
( A ) अमरकांत ने ( B ) अनामिका ने ( C ) मैसमूलर ने ( D ) इनमे से कोई नहीं
5. अमरकांत ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ...... ई ० में बी 0 ए 0 किया
( A ) 1946 ( B ) 1947 ( C ) 1948 ( D ) 1949